Experiment of Matthew Meselson and Franklin Stahl

डीएनए की अर्द्ध- सरंक्षी प्रतिकृति :-  👈 click here to view and download PDF of this content.


डीएनए की अर्द्ध- सरंक्षी प्रतिकृति :- 

डीएनए की अर्ध सरक्षी विधि में डीएनए के दोनों सूत्र एक दूसरे से अलग होकर अपने अपने अस्तित्व को बनाए रखेंगे और टू टेक सूत्र कोशिका में उपलब्ध न्यूक्लियोटाइड्स से अपने संपूरक सूत्र का संश्लेषण कर लेंगे।

इसके फलस्वरूप नए संश्लेषित अणु में पाए जाने वाले दोनों सूत्रों में से एक जनक अणु से प्राप्त होगा और दूसरा नए सिरे से संश्लेषित किया जाएगा।

डीएनए की अर्ध सरक्षी पुनरावृति को सिद्ध करने के लिए निम्न दो प्रयोग प्रमाण के रूप में प्रस्तुत हैं- 


  1. मेसल्सन एवं स्टाहल का प्रयोग :-






Photograph taken by F. L. Holmes of Matt Meselson and Frank Stahl in 1996, standing at the site where they met at Woods Hole 42 years earlier.

एम. मेसल्सन और एफ. डब्ल्यू. स्टाहल ने 1958 में अपने प्रयोगों के परिणामों को प्रकाशित किया।
इस परीक्षण में निम्नलिखित प्रयोग किया गया - 
  • पहले इसे इसचेरेचिया कॉलाई N 14 युक्त डीएनए को भारी नाइट्रोजन (N15) से प्रतिस्थापित किया गया।
  •  उसके पश्चात बैक्टीरिया की कोशिकाओं को अचानक से N 14 युक्त संवर्धन मध्यम में स्थानांतरित कर दिया गया जिसका निष्कर्ष निम्न प्रकार प्राप्त हुआ -
  • जब N 14 संवर्धन माध्यम मैं स्थानांतरण करने के एक पीढ़ी बाद डीएनए प्राप्त किया गया तब सिजियम क्लोराइड घनत्व प्रवणता की विधि से अपकेंद्रीकरण करने के बाद पराबैंगनी शोषक प्रतिरूप द्वारा केवल एक ही नई घनत्व पट्टी देखी गई। इससे ज्ञात हुआ की एक कोशिका पीढ़ी के पश्चात डीएनए का घनत्व समरूप समांग हो जाता है।
  • यह भी देखा गया की इस पट्टी का घनत्व N 15 व N 14 वाले डीएनए द्वारा निर्मित पट्टियों के ठीक मध्य का था। जिससे यह ज्ञात हुआ कि प्रथम पीढ़ी के बाद जो डीएनए पाया गया उसकी संपूर्ण मात्रा ही मध्यवर्ती अथवा संकर घनत्व की थी। यह तभी संभव हो सकता है जब डीएनए की प्रतिकृति अर्ध संरक्षी विधि से हुई हो।
  • इसके पश्चात क्रमागत पीढ़ियों में मध्यवर्ती डीएनए के घनत्व वाली दोनों पट्टी निरंतर प्रकट हुई , तथा शंकर घनत्व वाली पट्टी की तीव्रता में धीरे धीरे कमी होती गई तथा हल्के घनत्व की पट्टी की तीव्रता में धीरे-धीरे वृद्धि होती देखी गई।
  • इस प्रकार मेसल्सन और स्टाहल का प्रयोग एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रयोग था जिसके द्वारा सर्वप्रथम यह प्रदर्शित किया गया की डीएनए की प्रतिकृति अर्ध संरक्षी विधि से होती है।


Thank you ! 

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