Biogeochemical Cycles (जैव भू रासायनिक चक्र)
JOSHI GROUPS OF EDUCATION
Botany Paper 1st
Plant ecology and phytogeography
Biogeochemical cycles
(जैव भू- रासायनिक चक्र)
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By Mr. Harshvardhan Joshi
INTRODUCTION
Bio - Living organism (जीवित जीव)
Geo - Rock, soil, air, water, etc.
(चट्टान, मृदा, वायु, पानी, आदि)
Chemical - Material (पदार्थ या रसायन)
Cycle - Path ( चक्र या मार्ग का पथ)
Biogeochemical cycles - जैव भू रासायनिक चक्र
पादप अपनी वृद्धि, परिवर्धन एवं उपापचय क्रियाओं के लिए सूर्य के प्रकाश व CO2 के अतिरिक्त मृदा व वायु से जल व अनेक खनिज पदार्थ प्राप्त करते हैं।
ये पदार्थ विभिन्न पोषण स्तरो के सजीवों से होते हुए, जीवो की मृत्यु के पश्चात अपघटकों की सहायता से पुनः अपने वातावरण (मृदा, जल,वायु) में मुक्त हो जाते हैं।
इस प्रकार खनिज तत्व वातावरण में बार-बार पौधों द्वारा अवशोषित होकर विभिन्न जीवो में होते हुए निरंतर चक्रिय पथ में भ्रमण करते रहते हैं ।
अतः खनिज तत्वों व वातावरण के मध्य सक्रिय भ्रमण को जैव भू रासायनिक चक्र या पदार्थों का परिसंचरण कहते हैं।
पदार्थों की तुलना में उर्जा का सदैव प्रवाह होता है परिसंचरण नहीं अर्थात् ऊर्जा का प्रवाह एक दिशा में होता है जबकि पदार्थों का चक्रीय रूप में। किसी भी पोषण स्तर में ऊर्जा ऊष्मा के रूप में व्यय हो जाती है।
वह पुनः जीवों के लिए उपलब्ध नहीं हो सकती जबकि खनिज पदार्थ बार-बार जीवो को उपलब्ध होते रहते हैं ।
जैविक क्रियाओं के लिए पादपों को कार्बन(C), हाइड्रोजन(H), ऑक्सीजन(O) के अतिरिक्त नाइट्रोजन(N), फास्फोरस(P), सल्फर(S), पोटेशियम(K), कैल्शियम(Ca), मैग्नीशियम(Mg) एवं फेरस(Fe) की आवश्यकता होती है।
ये सभी तत्व भिन्न-भिन्न मात्रा में वायुमंडल, जलमंडल तथा स्थलमंडल में पाए जाते हैं। आवश्यकतानुसार सजीव इन तत्वों को उक्त मंडलों से ग्रहण करते हैं और समय उपरांत पुनः मंडलों में मुक्त कर देते हैं।
इस प्रकार के चक्रों में क्योंकि जीवीय एवं अजीवीय दोनों ही प्रकार के घटक निरंतर क्रियाशील रहते हैं, अतः इसे जैव भू रासायनिक चक्र कहते हैं।
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